Tuesday 26 April 2016

Raj Bhang Yoga - Astrological reasons behind the downfalls




Raj Bhang Yoga - Astrological reasons behind the downfalls

हम अधिकतर अपनी जन्म कुंडली (horoscope ) में शुभ योग और भविष्य में होने वाली अच्छी घटनाओ के बारे में जानने को उत्सुक रहते है , कुंडली में कितने प्रबल धन योग है? , व्यावसायिक  सफलता कैसी है ?, विदेश यात्रा के योग है की नहीं?  और भी कई बाते जो हमारे जीवन और  महत्वाकांक्षाओं से जुडी हुई  है, परन्तु इन सब बातो के साथ अत्यन्त अवश्यक है की कुंडली में राज योग के साथ कंही ऐसे योग तो नहीं हो मेहनत और भाग्य के योग से प्राप्त की गयी सफलता को चौपट कर दे , तो हमेशा भविष्य की योजनाओं को ज्योतिष (#Astrology) के माध्यम से समझते हुए ये देखना भी जरुरी है की कंही राज योग के साथ कुंडली में राज भग योग भी उपस्थित नहीं है ? जी हां राज भंग योग , इस योग के प्रभाव में आने पर राज योग का पतन होता है और राज योग  के  ठीक विपरीत उस योग द्वारा मिली प्रतिष्ठा , पद , संपत्ति और भौतिक  सुख सुविधाओं का क्षय होता है , जितना बड़ा राज योग होता है उतना ही बड़ा पतन (downfall )।  
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हम अपने आस पास कई उदाहरण नित्य देखते है , कई बड़े बड़े मशहूर लोग जिनके नाम का डंका बजता उन्हें राज भंग योग के चलते जेल तक की हवा खानी पड़ती है और सम्मान की हानि होती है।  कई परिस्थितियों में ये योग अल्प कालीन हो पुरानी परिस्थिति को पुनर्जीवित कर देता है और कई बार व्यक्ति का नामो निशान मीट जाता है।  संजय दत्त (#SanjayDutt) किस स्तर की सामाजिक हैसियत और सुख सुविधाओं के जीवन वो जीते है इस बात का सिर्फ अंदाज ही लगाया जा सकता है परन्तु विगत कुछ वर्ष जो उन्होंने जेल (#imprisonment) में गुजरे वो उनके वास्तविक जीवन के कितने विपरीत होने सिर्फ सोचा ही जा सकता है।  
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बहुत बड़ा उद्योग पति होने के साथ साथ राज्यसभा सांसद का पद होना आसान नहीं , बहुत मजबूत योग की आवश्यकता पड़ती है परन्तु अभी विजय माल्या (#Vijaymalya ) जिस ग्रह परिस्थिति से गुजर रहे है वो राजभंग योग नहीं तो और क्या , ये एक शुरुआत है आगे ग्रह परिस्थितियां अगर विपरीत हो तो किसी भी स्तर तक ले जा सकती है। 
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कई लोगो को बड़े आर्थिक घाटे झेलने पड़ते है और वे अपना व्यापार , सुख - सुविधाओं के साथ सम्मान से भी हाथ धो बैठते है , बड़े बड़े संत जिन्हे उनके भक्त गण भगवान तक का दर्ज दे देते है वो क्षण भर में जेल के पीछे चले जाते है।  
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ये है राज भंग  योग , परन्तु ये किन ग्रह परिस्थितियों में बनता है ये समझना बहुत आवश्यक है और कुंडली का अध्यययन करते समय भविष्य में ऐसी घटना न हो उसके लिए आज से बहुत समझ और संभल कर चलना चाहिए  , उदाहरण के लिए भविष्य कोई बड़ी कर्ज की समस्या आ सकती है और वो हमारे पतन का कारन बन सकती है तो आज से ही ऋण लेने में अत्यन्त सतर्कता बरती  जाये।  

राज भंग योग की उपस्थिति को समझने के लिए सबसे पहले तीन प्रभुख भावो और ग्रहों को समझना आवश्यक है , लग्न भाव , पंचम भाव और दशम भाव।

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इस भावो के साथ साथ दो प्रमुख दुर्भावों को भी समझे छठा भाव , ये भाव रोग, ऋण और शत्रुओ का प्रतिनिधित्व करता है साथ ही क़ानूनी उलझनो , परिशानियों और रुकावटों का भाव है , द्वादश भाव (बारहवा)  नुकसान और खर्चो के अलावा जेल और हॉस्पिटल का प्रतिनिधित्व  करता है , नुकसान और खर्च सिर्फ धन का ही नहीं होता जी भाव का स्वामी इस भाव से सम्बन्ध बना ले उसके कारकत्वों का भी होता है।  
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इन दो भावो के अलावा नवमांश का अध्ययन भी अत्यन्त आवश्यक है की लग्न , पंचम और दशम भाव के स्वामियों ग्रहों की नवमांश में क्या परिस्थिति है , नवमांश में किसी भी ग्रह का कमजोर या नीच में होना उससे सम्बंधित भाव के कारकत्वों को समाप्त करता है।  

लग्न , शरीर (Body ) का प्रतिनिधित्व करता है और जन्म कुंडली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव है , इस भाव के मजबूत हुए बिना किसी भी शुभ योग को स्थिर  नहीं माना जा सकता है , अत्यन्त सफल और लोकप्रिय व्यक्तियों की कुंडली में लग्न भाव सर्वाधिक मजबूत होता है, इस भाव का कमजोर होना अर्थात इस भाव के स्वामी ग्रह का किसी कमजोर भाव (विशेष कर छठे या बारहवे भाव से किसी तरह का सम्बन्ध बनाना ) में विराजित होना या नवमांश में कुंडली में नीच का होना इस भाव को कमजोरी प्रदान करता है और नतीजा जातक का पतन होता है।  
अगर लग्न भाव मजबूत है और दूसरे अन्य कारणों से पतन हुआ है तो ख़राब दशाओं के गुजर जाने के बाद इस भाव की मजबूती   जातक को वापिस ऊंचाइयां प्रदान करती है।  

पंचम भाव पद, प्रतिष्ठा और सम्मान प्रदान करने वाला भाव होता है , इस भाव की मजबूती उच्च पद और प्रतिष्ठा दिलाती है , वंही अगर ये भाव का स्वामी छठे भाव या बारहवे भाव से सम्बन्ध बन रहा है अथवा नवमांश कुंडली में नीच का हो रहा है तो सम्बंधित दशा अन्तर्दशा में जातक के पतन का कारन बनेगा।

इन दोनों भावो के अलावा तीसरा महत्वपूर्ण भाव है दशम भाव जो  कर्म क्षेत्र अर्थात व्यवसायिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है इस भाव का छठे भाव या बारहवे भाव सम्बन्ध , अर्थात दशम भाव का स्वामी छठे या बारहवे भाव में विराजित हो या छठे या बारहवे भाव भाव का स्वामी दशम में बैठा हो तब भी राज भंग योग का निर्माण होता है और बड़े पतन का कारण बनता है।





उक्त कुंडली है अमिताभ बच्चन (#amitabhbachchan) की , सबसे पहले देखे कुम्भ लग्न का  स्वामी शनि चतुर्थ भाव में है और दसवीं दृष्टि से लग्न को देख उसे अत्यन्त प्रबल बन रहा है , ख़राब समय और दशाओं में अमिताभ बच्च्चन ने मृत्यु तुल्य परिस्थितियों को भोग और मजबूत लग्न की वजह से लौट कर आये , उसके बाद भी गम्भीर आर्थिक परिस्थिति एवं  राजनितिक आरोप प्रत्यारोप , अब ये सब क्यों हुआ क्योंकि पंचम भाव का स्वामी बुध अष्टम भाव में वक्री अवस्था में है, पंचम भाव के स्वमी का वक्री होना विशेषकर जब वो बुध हो तो गलत निर्णय लेने हेतु प्रेरित करता है और विपरीत आर्थिक परिस्थितियों को उत्पन्न करता है , वंहा इस पंचम भाव के कमजोर होने से छवि को भी नुकसान पंहुचा।  अतंतः लग्न की मजबूती ने समस्त दुर्योगों के गुजर जाने के बाद वापस से न सिर्फ नई ऊंचाइयां दी बल्कि पहले से भी अधिक लोकप्रियता  और सफलता प्रदान करी। 






ध्यान से देखे संजय दत्त (#sanjaydutt) की कुंडली को बारहवे भाव (नुकसान , खर्च , जेल , सजा , हॉस्पिटल ) का स्वामी शुक्र कर्म भाव अर्थात  दशम भाव (#10thhouse) में जिसने लम्बे समय तक बुरी आदतों के चलते सुधार ग्रह में रहने पर मजबूर किया उसके बाद लम्बा समय क़ानूनी उलझनों और जेल यात्रा में गया , इन सब के बावजूद भी उनकी लोकप्रियता और व्यवसायिक जीवन  का पतन इसलिए नहीं हुआ क्योंकि उनके लग्न पर भी लग्न के स्वामी मंगल की दृष्टि है (रेखा के माध्यम से भावो के बीच का सम्बन्ध दर्शाया गया है ) जिसने लग्न को मजबूत बना रख  है , उनका दशम भाव का स्वामी सूर्य (#sun) नवमांश में नीच का भी है जिसने छवि को ख़राब होने से बचने में कोई मदद नहीं की और सूर्य का दूषित होना राजदण्ड  के भोग का कारन  बना , ये एक ऐसे कुंडली है जिसमे आप राजभंग योग के समस्त उदहारण  एक साथ देख सकते है , पंचम भाव का स्वामी गुरु भी देखे तो बारहवे भाव में विराजित है जिसने समय समय पर गलतियां करवाई और अंततः सजा भी उन्हें गुरु की महादशा में ही मिली।  
आज वे अपनी नयी पारी की शुरुआत कर चुके है परन्तु फिर भी छवि पर दाग ना लगे  इस बात की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।  
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आम जीवन में भी  कई बार व्यावसायिक जीवन में विभिन्न कारणों से गम्भीर उतार चढाव निर्मित होते रहते है कारन इन्ही इन्हीं भावो के आस पास घूमता रहता है परन्तु अगर परिस्थितियों को थोड़ा पहले समझ लिया जाये तो निर्णय सोच समझ कर लिया जा सकता है और भविष्य में निर्मित होने वाली गम्भीर परिस्थितियों को को कुछ हद तक तो नियंत्रण में किया ही जा सकता है। Click to read other blogs of mine

पंकज उपाध्याय
इंदौर

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